रंगभूमि--मुंशी प्रेमचंद

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उन्होंने दिल में निश्चय किया, अब कुछ ही हो, और रुपये न निकालूँगा। लेकिन सातवें महीने में फिर 25 रुपये निकालने पड़ गए। अब माहिर अली का साल भी पूरा हो ...

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